चंडीगढ़, 23 दिसंबर: दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा बाबा अजीत सिंह व बाबा जुझार सिंह का शहीदी दिवस संपूर्ण श्रद्धा भावना से मनाया गया। इस मौके पर गुरुद्वारा दमदमा साहिब में विशेष गुरमत समागम का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने मत्था टेका।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी के महासचिव सरदार जगदीप सिंह काहलों ने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह साहिब जी ने पंथ और दस्तार सहित इस देश की संस्कृति को बचाने के लिए अपना संपूर्ण वंश कुर्बान कर दिया। गुरु साहिब का इतिहास जब भी पढ़ते हैं तो यकीन नहीं होता कि जब गुरु साहिब 9 वर्ष के थे, तब उनके पिता गुरु तेग बहादुर साहिब ने अपना बलिदान दिया और 41 वर्ष की आयु तक गुरु गोबिंद साहिब ने अपने पूरे परिवार का बलिदान दिया।
उन्होंने कहा कि साहिबजादों की उम्र भले ही कम थी, लेकिन उनके हौंसले बुलंद थे, बाबा अजीत सिंह और बाबा जुझार सिंह ने चमकौर के गढ़ में लाखों की गिनती में आए मुगलों के साथ जंग लड़ी और अपनी शहादत दी। गुरु की फौज ने लगातार 8 महीने तक युद्ध लड़ा और कई बार ऐसा समय आया जब भूखे पेट कई दिनों तक संघर्ष करना पड़ा मगर डट कर मुगलों का सामना किया।
उन्होंने कहा कि वह देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के आभारी हैं, जिन्होंने भारत में जितनी भाषाएं हैं, उतनी भाषाओं में साहिबजादों के इतिहास को प्रकाशित कर समूचे देश और दुनिया में वितरित किया तथा साहिबज़ादों की शहादत को समर्पित 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस मनाना शुरु किया। देश के रेलवे स्टेशनों और हवाई अड्डों पर उनके इतिहास की जानकारी दी जाती है। उन्होंने कहा कि सिख समुदाय तभी प्रगति कर सकता है जब हम अपने गुरु साहिब का इतिहास, अपनी शहादतों का इतिहास देश और दुनिया को बताएंगे। हर माता-पिता का कर्तव्य है कि वह अपने बच्चों को इतिहास बताएं।